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लेखनी कहानी -11-Sep-2022 सौतेला

भाग 26 
शिवम को बड़े बाबू से छुटकारा पाने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था । जब तक कोई दूसरे मकान की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक उसे यहीं रहना था । उसने तय कर लिया था कि लवीना और शीना तो क्या खुद बड़े बाबू को भी अपने कमरे में नहीं आने देगा । जब कोई कमरे में आएगा ही नहीं तो फिर डर किस बात का ? न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी । 

वह सुबह जल्दी जगता और घूमने चला जाता । फिर घर आकर नहाने लग जाता और तैयार होकर घर से निकल जाता । रात को खाना खाकर ही घर आता था वह । एक तरह से वह घर में सोने के लिए ही आता था । इस तरह उसने लवीना और शीना से पिण्ड छुड़ाया । एक महीने बाद उसने दूसरा मकान किराए पर ले लिया । वहां कोई लवीना और शीना जैसी लड़की नहीं थी । 

नौकरी लगने के बाद से उसके रिश्ते के लिए लोग आने लगे । नई मां ने अपने किसी परिचित के यहां पर उसका रिश्ता करना अधिक उपयुक्त समझा । नई मां के पीहर पक्ष के दूर के संबंधी की एक लड़की का रिश्ता आया तो वह रिश्ता सबको जंच गया । शिवम को लड़की दिखाई गई । लड़की बहुत सुंदर थी । कोई परी सी लगती थी वह ।  एम ए पास थी । लड़की के पिता गरीब थे इसलिए वे ज्यादा पैसा खर्च करने की हैसियत नहीं रखते थे । उनके लिए शिवम का रिश्ता भी बहुत अच्छा था । शिवम भी भोला भाला मासूम सा था । दहेज के बिल्कुल खिलाफ था वह इसलिए उसके आग्रह पर उसका रिश्ता पिंकी के साथ हो गया था । 

पिंकी जैसी खूबसूरत पत्नी पाकर शिवम खुद को बहुत भाग्यशाली समझ रहा था । शिवम भी बहुत स्मार्ट था इसलिए पिंकी भी अपने मुकद्दर पर इतराने लगी थी । दोनों की जोड़ी बड़ी शानदार लगती थी । इस जोड़ी को देखकर हर कोई रश्क करने लगता था । वैष्णव परिवार में खुशी का वातावरण फैल गया था । न जाने कितने दिनों बाद इस घर में खुशियों ने डेरा डाला था । संपत और कामिनी अपने दोनों बच्चों को लेकर शिवम की शादी में मेहमान बनकर आये थे । बस इतनी ही भूमिका थी संपत की । कामिनी को अपने सौतेले बेटे की शादी में कोई रुचि नहीं थी । सारा काम नई मां और सुमन ने किया था । दौलत तो इस तरह खुश था जैसे कि उसके पुत्र का विवाह हो । सबसे अधिक खुश तो नेहा और आर्यन थे । उन्हें पिंकी जैसी भाभी जो मिल गई थी  । 

दोनों जने हनीमून के लिए शिमला चले गए । शिमला में खूब मौज मस्ती की उन दोनों ने फिर वापस अपने घर आ गये । उनके दिन मजे में कट रहे थे । शिवम की रोटी पानी की समस्या को देखकर नई मां ने पिंकी को उसके साथ जोधपुर भेज दिया । जोधपुर में दोनों जने मजे से रहने लगे । छुट्टियों में वे अपने घर अजमेर आ जाते थे । इस तरह पिंकी ने दोनों जगह यानि अजमेर और जोधपुर मेंअपनी धाक जमा ली थी । उसकी आंखों में गजब की कशिश थी । उसे देखते ही हर कोई उसका दीवाना हो जाता था । गदराया हुआ जिस्म था उसका जो संगमरमर की तरह चिकना था जिस पर पानी की एक बूंद भी ठहर नहीं सकती थी । शिवम उसके सौन्दर्य में खो गया था । पिंकी को अपने सौन्दर्य पर बड़ा नाज था । वह जानती थी कि ईश्वर ने उसे बड़े करीने से बनाया है इसलिए उसके अरमान भी बहुत ऊंचे थे । बाप गरीब था तो  उसके अरमान पूरे कैसे होते ? अधूरे ही रह गए थे वे । शिवम की आय भी बहुत सीमित ही थी । ऊपर के पैसे वह लेता नहीं था इसलिए उसके पास भी अधिक गुंजाइश नहीं थी । बिना पैसों के ऐशो आराम की जिंदगी नहीं जी सकता है कोई इसलिए ऐशोआराम के लिए धन दौलत का होना बहुत आवश्यक है । 

नेहा भी अब शादी लायक हो गई थी । घर में अब नेहा की शादी की तैयारी होने लगी थी । उसने बी ए कर लिया था और एम ए कर रही थी । उसके लिए कोई अच्छा सा लड़का ढूंढा जाने लगा । नौकरी वाले लड़के बहुत पैसे मांगते थे । दौलत के पास अधिक पैसा नहीं था । संपत का कोई सहारा नहीं था ।  सुमन के श्वसुर सुमन को 10000 रुपए प्रति माह दिया करते थे । सुमन उन्हें बचाकर रखती थी । सुमन के पास पांच लाख रुपए इकठ्ठे हो गए थे । नेहा को सुमन ने अपनी बेटी की तरह पाला था इसलिए उसने कन्यादान करने का संकल्प ले लिया था । पांच लाख रुपए उसके पास थे ही , शेष खर्चा दौलत को उठाना था । शिवम के पास अभी बचत के नाम पर कुछ था ही नहीं । पिंकी की अधिक खर्च करने की प्रवृति के कारण शिवम पर कुछ कर्जा भी चढ गया था इसलिए शिवम से उम्मीद करना बेमानी था । एक व्यावसायिक परिवार में नेहा की शादी धूमधाम से कर दी गई । नेहा अपनी ससुराल बीकानेर में आ गई । 

नई मां अब बूढी हो चुकी थी । सुमन भी आधे समय अपनी ससुराल में रहती थी और आधे समय अपने पीहर में रहती थी इसलिए नई मां घर में काम करने वाली अकेली औरत रह गई थीं । उन्हें आंखों से कम दिखाई देने लगा था, कानों से कम सुनाई देने लगा था । हाथ पैर भी शिथिल हो गये थे इसलिए घर की परिस्थितियों को देखकर दौलत ने फिर से शादी करने का मन बना लिया था । दौलत अब पुलिस उप निरीक्षक बन गया था इसलिए 45 वर्ष की आयु में भी उसके पास अविवाहित लड़कियों के रिश्ते आने लगे । चांदनी का रिश्ता सबको पसंद आ गया और दौलत की शादी चांदनी के साथ हो गई । चांदनी अभी 20 साल की लड़की थी । उसमें जोश, उत्साह कूट कूट कर भरा था । चांदनी के आने से नई मां के द्वारा काम करने की समस्या अब दूर हो गई थी । चांदनी मन लगाकर घर का काम करती थी । वह नई मां की खूब सेवा करती थी । वह आर्यन को भी अपने पुत्र की तरह स्नेह करती थी । और तो और शिवम उससे उम्र में बड़ा होने के बावजूद वह उसे मां का वात्सल्य देने की कोशिश करती थी । चांदनी के त्याग ने सबको अपना बना लिया था । धीरे धीरे वह सबके दिलों में जगह बनाने में कामयाब हो गई । 

उधर शिवम अपने हाल में मस्त था । वह एक ईमानदार कर्मचारी था । अपनी तनख्वाह में संतुष्ट रहने वाला युवक था लेकिन पिंकी इसमें संतुष्ट नहीं थी । वह समस्त ऐश ओ आराम चाहती थी जो शिवम के वेतन से संभव नहीं हो सकते थे । उसने रिश्वत लेने के लिए शिवम को उकसाया मगर शिवम ने ऐसा करने से इंकार कर दिया । पिंकी को तो पैसा चाहिए था वह कैसे भी आए, उससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था । वह पैसा कमाना चाहती थी पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह ऐसा क्या काम करे जिससे खूब पैसा मिल जाए ? वह इसी उधेड़बुन में लगी रहती थी । 

जोधपुर में उसकी एक खास सहेली बन गई थी जिसका नाम था रिम्पी । वह एक राजनीतिक दल "सबकी पार्टी" की सदस्य थी और नगर निगम तथा सरकारी कार्यालयों में लोगों के काम करवाया करती थी । इस काम से वह खूब पैसे भी कमाती थी । बिना निवेश के लाखों करोड़ों की कमाई केवल इसी धंधे में हो सकती है । लोग इसे दलाली भी कहते हैं । "गंदा है पर धंधा है" यह वाक्य इस धंधे पर अच्छे तरह से फिट बैठता था । 

रिम्पी की जान पहचान सत्तारूढ दल के बड़े बड़े नेताओं से थी इसलिए उसका रुतबा भी बहुत ऊंचा था । बी एम डबल्यू कार से चलती थी वह । एक ड्राइवर रख रखा था उसने । उसके घर में दो तीन नौकर काम करते थे । उसका पति एक किराने की छोटी सी दुकान चलाता था । उस दुकान से दो जून की रोटी मिल जाये तो गनीमत है । रिम्पी के सपने बड़े थे इसलिए करना भी कुछ बड़ा ही था । उसने यह "धंधा" अपनाया   राजनीति में "मलाई" भी है और इज्जत भी है । 

पिंकी उसकी हैसियत देखकर बहुत आश्चर्य करती थी कि इसके पास इतना पैसा कहां से आता है ? रिम्पी बड़े बड़े अधिकारियों के साथ उठती बैठती थी । विधायक जी के साथ तो वह अक्सर हर जगह दिखाई देती थी । कोई भी कार्यक्रम हो, शिलान्यास का या उद्घाटन का, वहां पर रिम्पी  अवश्य होती थी । विधायक जी के पास ही खड़ी होती थी रिम्पी । विधायक जी अक्सर उससे "छेड़छाड़" किया करते थे परन्तु रिम्पी सदैव मुस्कुराती रहती थी । वह इन छोटी मोटी बातों पर ध्यान देती ही नहीं थी । वह जानती थी कि मर्द ऐसी छोटी मोटी हरकत तो करते ही हैं । जहां सुन्दरता होगी, वहां छेड़छाड़ भी होगी । इसलिए रिम्पी बड़े लोगों की तरह छोटी छोटी बातों को इग्नोर कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अविचल मेहनत करती थी ।  पिंकी ने रिम्पी में अपना आदर्श तलाश कर लिया था । वह रिम्पी के नक्शे कदम पर चलना चाहती थी । 

एक दिन पिंकी रिम्पी के घर किसी काम से गई थी । रिम्पी के घर के बाहर विधायक जी की गाड़ी खड़ी थी और विधायक जी के दो आदमी गेट पर खड़े थे । उन्होंने पिंकी को अंदर जाने से रोक दिया । पिंकी को बड़ा आश्चर्य हुआ । वह बोली "रिम्पी मेरी खास सहेली है । मुझे उससे मिलना है । आप लोग कौन हैं जो मुझे मेरी सहेली के घर में घुसने से रोक रहे हैं" ? पिंकी के स्वर में आक्रोश था ।
"आपको पता होना चाहिए मैडम कि अभी विधायक जी घर के अंदर ही हैं । जब तक वे घर के अंदर हैं तब तक और किसी को अंदर जाने की अनुमति नहीं है । आप रिम्पी मैडम की सहेली हों या कोई और , आप अंदर नहीं जा सकती हैं । इस बीच यदि रिम्पी मैडम के पतिदेव भी आ जायें तो उन्हें भी हम अंदर नहीं जाने देंगे । समझी मैडम" ? सफेद कुर्ताधारी व्यक्ति के मुख पर मुस्कान और कठोरता दोनों ही नजर आ रही थीं । 

पिंकी कुछ समझ नहीं सकी कि उसे क्यों रोका जा रहा है ? एक बार उसने एक कहानी में पढा था कि एक रियासत के एक ठाकुर साहब किसी भी गांव के हर किसी मकान में घुस जाते थे । उनकी जूतियां उस मकान के दरवाजे के बाहर खुली रहती थीं । उनके अंदर जाते ही घर का मुख्य दरवाजा बंद हो जाता था । फिर उस घर में जब तक ठाकुर साहब अंदर रहते थे तब तक किसी और को अंदर जाने की अनुमति नहीं होती थी । बाहर खुली जूतियों को देखकर घरवाले समझ जाते थे कि ठाकुर साहब घर के अंदर हैं । उस अवधि में घर के सदस्यों को पता होता था कि अंदर ठाकुर साहब क्या कर रहे हैं ? घरवालों की क्या बिसात जो कुछ बोल सकें ? तो क्या विधायक जी आज के जमाने के ठाकुर साहब हैं ? वह मन ही मन सोच रही थी पर उसे जवाब नहीं मिल रहा था । 

इतनी देर में अंदर से विधायक जी और रिम्पी दोनों आते हुए दिखाई दे गये । दोनों बड़े खुश नजर आ रहे थे । पता नहीं "सीक्रेट मीटिंग" में कौन सा सीक्रेट प्लान बनाकर आये थे वे दोनों । रिम्पी की निगाह पिंकी पर पड़ी तो वह एक पल के लिए असहज हुई लेकिन बाद में मुस्कुराते हुए बोली 
"अरे आओ पिंकी । एकदम सही समय पर आई हो । इनसे मिलिए ये हैं क्षेत्रीय विधायक श्री अशोक राम । पार्टी में इनका बड़ा दबदबा है । सी एम साहब के खासमखास हैं ये । अच्छा हुआ जो आज इनसे मुलाकात हो गई आपकी । आप पार्टी में शामिल होकर पार्टी का कार्य करना चाहती थी ना ? तो ये श्रीमान आपका पार्टी ज्वाइन करा देंगे और आपका कार्य भी करा देंगे" रिम्पी पिंकी को गले लगाते हुए बोली । 

पिंकी का परिचय कराते हुए वह विधायक जी को बोली "इनसे मिलिए, ये हैं मिसेज पिंकी वैष्णव । इनके पति शिवम कलेक्ट्रेट में काम करते हैं । ये मेरी खास सहेली हैं और ये अपनी पार्टी ज्वाइन करना चाहती हैं । ये चाहती हैं कि थोड़ी बहुत सेवा जनता की कर लें तो उससे इनका इहलोक और परलोक दोनों सुधर जायें" । कहते कहते रिम्पी हंस दी और उसने विधायक जी को एक आंख भी मार दी । विधायक जी पिंकी को गौर से देखने लगे । पिंकी को ऐसा लगा कि विधायक जी उसे देख नहीं रहे हैं अपितु उसके शरीर को "स्कैन" कर रहे हैं । उसे ऐसा लगा जैसे उसने कुछ पहना ही  नहीं है । विधायक जी के इस तरह देखने से वह लाज से गड़ी जा रही थी । 

"आपकी सहेली तो कयामत से भी दो कदम बढ़कर कयामत हैं रिम्पी जी । वाकई ऐसी "सौन्दर्य की देवी" तो पार्टी में होनी ही चाहिए । भगवान ने इनको हुस्न थोक के भाव दिया है । हमारी पार्टी तो "हुस्न" को पूजती है । ये हमारी पार्टी के लिए बिल्कुल फिट हैं । हमारे मुखिया जी तो सौन्दर्य के पुजारी हैं । मुखिया जी जब इन्हें देखेंगे तो खुश हो जाऐंगे । ये तो देवताओं के सिर पर चढने वाला फूल हैं । और किसी के हाथों में जाने से यह फूल अपवित्र हो सकता है रिम्पी जी । अत: इस फूल को मुखिया जी तक पहुंचने तक इसकी हिफाजत करना आपका काम है रिम्पी जी । समझ गई ना" ? विधायक जी भी रिम्पी को आंख मारकर हंसते हुए बोले । 
"बिल्कुल समझ गई सर । मुखिया जी की पूजा की थाली का एक सुगंधित पुष्प है पिंकी । इनकी हिफाजत की जिम्मेदारी मैं लेती हूं । मेरे रहते हुए इस फूल को अपवित्र करना असंभव है । आप तो हमारी मुखिया जी से शीघ्र मुलाकात करा दीजिए बस । क्यों पिंकी ? तुम सी एम साहब से मिलना चाहती थीं ना ? बोलो , उनसे मुलाकात फिक्स करा दें" ? रिम्पी ने पिंकी से पूछा । 

पिंकी को तो यह कतई उम्मीद नहीं थी कि उसकी मुलाकात सी एम साहब से हो जाएगी । उसने तुरंत हामी भर दी । विधायक जी मुस्कुराते हुए चले गए और रिम्पी पिंकी को लेकर ड्राइंग रूम में आ गई । 

अगले अंक में आप पढेंगे कि क्या पिंकी की मुलाकात सी एम साहब से हो पाती है या नहीं ? क्या इसके लिए कोई कुर्बानी देनी होगी पिंकी को ? तो अगले अंक में मिलते हैं हम लोग । 

श्री हरि 
26.5.23 

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6 Comments

Sushi saxena

04-Jun-2023 02:56 PM

Nice one

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Alka jain

04-Jun-2023 12:43 PM

V nice 👍🏼

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shweta soni

01-Jun-2023 12:35 PM

👌👌

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Hari Shanker Goyal "Hari"

01-Jun-2023 10:40 PM

🙏🙏

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